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भूमि सुधार का हरदोई माडल

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भारतीय गणतंत्र की स्वतंत्रता के बाद देश की सबसे बडी समस्या विभाजन के फलस्वरूप छिन्न भिन्न हुयी संपत्तियां नहीं थी अपितु जमींदार और आम भारतीय के बीच संपत्ति का बंटवारा थी। मध्य प्रदेश के तेलंगाना क्षेत्र में तो जमींदार और आम आदमी का संघर्ष कम्मुनिष्टों के लिये हिंसा की ओर बढने का साधन बन गया था।   ऐसे में सन् 1951 में साधक संत विनोवा ने भूमिसमस्या के समाधान की हिंसक राह तलाश रहे कम्युनिस्टों के बीच जाने का फैसला लिया और मार्च में महाराष्ट्र के पवनार से निकलकर अशांत तेलंगाना क्षेत्र में 339 मील की सर्वोदय यात्रा आरंभ की थी।   इसी वर्ष 1 मई मजदूर दिवस पर हरदोई के थमरवा गांव मे एक बच्चे का जन्म हुआ जो सत्तर के दशक तक पहुंचते पहुंचते विनोवा की विचारधारा से इतना प्रभावित हुआ कि उसने अपने कैरियर के रूप में समाज सेवा के क्षेत्र को चुन लिया। सर्वोदय आश्रम टडियांवा के संस्थापक श्री रमेश भाई ने विनोवा के भूदान आन्दोलन को एक नये स्वरूप में लागू करने की मुहिम जनपद हरदोई में चलायी। उन्होने उपजाउ जमीनों को भूदान के माध्यम से समाज के निचले तबके को बांटने के स्थान पर उसर भूमि को सुधार