नहीं किसी की मालिकी ..सबै भूमि गोपाल की...! (भाग 2)
संत विनोबा ने भी की थी कैशलेस की वकालत आज यह आश्चर्य का विषय हो सकता है परन्तु संत विनोबा ने अपनी ऐतिहासिक सर्वोदय यात्रा आरंभ करने से पूर्व आश्रम को कैशलेस बनाने का संकल्प लिया था। राजेन्द्र स्मृति ग्रन्थमाला के अंतरगत भारत जैन महामंडल वर्धा द्वारा प्रकाशित 'सर्वोदय यात्रा' में बल्लभस्वामी ने अपनी प्रस्तावना में इस तथ्य का उल्लेख किया है। सर्वोदय यात्रा में सहयोगी रहे दत्तोबा दस्ताने ने इस यात्रा का दैनिक इतिहास लिखा था। सर्वोदय सम्मेलन मे जाने के लिये सात साथियों के साथ जब विनोवा ने पवनार आश्रम से पैदल निकलने का विचार बनाया तो कई लोगों के मन में यह चिंता थी कि इतनी लंबी यात्रा के लिये वे पैदल क्यों चल दिये। जब यह संशय विनोवा जी के सम्मुख आया तो उन्होने कहा कि सर्वोदय सम्मेलन में लोग जिस तरीके से जाना चाहें जा सकते हैं वे रेलगाडी से भी आ सकते हैं परन्तु यदि पैदल आयेंगे तो यह अधिक उचित होगा। उनका मानना था कि इससे देश का दर्शन होता है व्यक्ति जनता के संपर्क में आता है तथा सर्वोदय का संदेश जनता तक पहुंचाया जा सकता है। वाहन का उपयोग न करने की कोई प्रतिज्ञा उनके द्वारा नहीं ली